" Kanak Bhawan Shri Ayodhya Ji Dham " "Jai Shri Ram " |
स्थापित हो रामराज्य
या हो जाये भ्रष्टाचार व्याप्त ।
भारत माता को जँजीरोँ मेँ
पुनः जकड़ने कैसे दोगे ,
रोम रोम भारत माता का श्रापेगा तुमको
यदि कुपथ्य भ्रष्ट राज्य स्थापित होने दोगे ।
इस निष्ठुर विषव्याप्त निन्दनीय तंत्र को
अपनी अगली पीढ़ी को कैसे दोगे ।
क्या तुम्हारी पुण्य आत्मा स्वीकार इसे कर पाएगी ,
आगे आने वाले वंशजोँ मेँ ना साख तुम्हारी रह जाएगी ।
पूछेंगे नभ के तारे पूछेँगे वंशज प्यारे
क्या इतिहास तुम्हारा है बतलाओ ,
हमेँ भी इस भरत वँश के वीरोँ का गुणगान सुनाओ ।
तब लज्जा वश शीश तुम्हारा
उनके आगे झुक जायेगा ,
स्वयं तुम्हारा महिष अंतरद्वंद
काल तुम्हेँ खाजायेगा ।
मन ही मन तुम काँप उठोगे
स्वभक्षण के तुम पात्र बनोगे ।
अपने ही तुमको काटेँगे
नित नये नवेले तानोँ से
तुमको वो प्यारे डाटेँगे ।
हे आर्यपुत्र हे भरतवँशियोँ
अभी वक्त हे मेरे प्यारोँ
मेरे भारत के राजदुलारोँ ।
चाहो अभी तो सँभल जाओ
हे अजर अमर सनातन के वीरोँ
धँसो नहीँ इस दलदल में
अतिशीघ्र इससे उबर आओ ।
बहुत हो चुकी यह कुम्भकरणीय निद्रा
अब तो प्यारोँ जग जाओ ,
इस गरल विषपान से
अच्छा होगा
यदि इतिहास को अपने दोहराओ ।
हे आर्यव्रती सनतानोँ शपथ है तुमको
इन फिरंगियोँ को धूल चटाओ ।
अपने अंतरमन मेँ दबी अग्नि ज्वाला को
आज तो प्यारो भड़काओ ।
फूँक दो इनकी काली लंका
दहका दो इनके जुल्मोँ का पतित ये आँगन
हे युवा वीर आज तुम
अपने पावन कदम बढ़ाओ ।
नहीँ तो ऐक दिन फिर
हम गुलाम हो जायेँगे ,
पता नहीँ फिर क्या होगा
कब सुभाष , चन्द्रशेखर और भगत सिँह
पुनः जन्म ले पायेँगे ।
हे आर्यव्रतियोँ आह्वान है तुमसे
इस गरल विष को ना स्वीकार करो ।
भारत माता का सम्मान करो
प्यारोँ भारत का उद्धार करो ।
अपने तन से लिपटे विष भुजंग को
काट समाज से बाहर करो ।
हे भारत के मतवालोँ
माता की आन पे मिटनेँ वालोँ,
आज तुम्हेँ पुकारती है जननी तुम्हारी
उस अबला का कुछ कल्याँण करो ।
रामराज्य को लाना है तो
अपना तुम बलिदान करो
अपना तुम बलिदान करो
अपना तुम बलिदान करो..।
¤ घोर सिँहनादम् जयतु जयतु माँ विश्वभारतिम् ॥
ॐ।। कवि :- सुधीर पाण्डेय ।।ॐ
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